Sonia Jadhav

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मेरी अना- भाग 12

कुछ समय बाद.....
अना का एयरहोस्टेस का कोर्स पूरा हो चुका था और अनिकेत भी बी. ए के अंतिम वर्ष में था। अना के पिता का रवैया अभी भी अना के प्रति पहले जैसा ही था। ऐसा नहीं था कि उन्हें अपनी बेटी से प्यार नहीं था। बात सिर्फ इतनी थी कि अना ने उनके अहंकार को ललकारा था, उनकी पुरुष सत्ता के खिलाफ आवाज़ उठायी थी और यही बात उनके मन में चुभ गयी थी। अना ने अपनी माँ के कहने पर माफी तो मांग ली थी लेकिन वो माफ़ी दिल से नहीं, मजबूरी में मांगी गयी माफ़ी थी। एक बार रिश्ते बिगड़ जाए तो उन्हें संभालना कठिन होता है, ये तब और ज्यादा कठिन हो जाता है जब दोनों तरफ से कोई रिश्ता संभालना ही नहीं चाहे।

अना को फर्स्ट फ्लाइट एयरलाइन्स से साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। पहले दौर में लिखित परीक्षा थी, दूसरे दौर में समूह चर्चा थी और तीसरे दौर में व्यक्तिगत साक्षात्कार था। यूँ तो अना में आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था और उसकी तैयारी भी अच्छी थी लेकिन फिर भी मन में एक डर था। 

आजकल जब भी अना अनिकेत से बात करती तो कॉल रिकॉर्ड कर लिया करती थी और जब भी उसे समय मिलता तो इयरफोन लगाकर वो अनिकेत की आवाज़ सुना करती थी। सब लोगों को लगता वो गाने सुन रही है लेकिन वो अपनी और अनिकेत की बातचीत सुना करती थी। अनिकेत के मुख से निकले सामान्य हाल-चाल वाले शब्द भी अना को खूबसूरत कविता से लगते थे।
आज जब अना अपने मन का डर अनिकेत से बाँट रही थी तो अनिकेत ने उससे कहा…..मेरी अना की जीत निश्चित है। 

"अपना सारा डर सौंप दो मुझे 
और निश्चिन्त हो जाओ 
आने वाले कल के लिए। 
देखो आसमाँ में कितने सितारे हैं। 
उनमें से आधे ख़्वाब मेरे और आधे तुम्हारे हैं। 
उन ख़्वाबों के पास एक घर खड़ा है, 
उसके दरवाज़े पर अनिकेत और अना लिखा है। 
बाट जोहता है वो घर हमारी, 
उस घर पर हमारी खुशियों का पता लिखा है।
तुम्हारी हार भी मेरी है और तुम्हारी जीत भी
तुम्हारे डर भी मेरे हैं और तुम्हारे ख़्वाब भी।
तुम किसी भी राह में अकेली नहीं हो,
मैं हूँ ना हमेशा तुम्हारे साथ।"

अना को लग रहा था जैसे अनिकेत उसे किसी सपने में ले गया हो। उसकी आँखों में आंसू और दिल में एक अलग सी ख़ुशी थी। इस आँसु और ख़ुशी के मिश्रण वाले जज्बात को वही समझ सकता है जिसने जिंदगी में कभी किसी से प्यार किया हो। 
अना और अनिकेत खामोश थे, तभी अनिकेत ने कहा…मेरी अना और फिर ना जाने कितनी बार कहा।

अना का सारा तनाव अनिकेत से बात करके खत्म हो गया था। पहले दौर की परीक्षा से लेकर अंतिम दौर के साक्षात्कार तक वो रोज़ अनिकेत की लिखी इस कविता को सुनती थी। अनिकेत का प्यार उसके लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं था। प्यार जब प्रेरणा बन जाए तो वो जीवन को एक अलग ही मुकाम पर ले जाता है, आज पहली बार अना ने प्यार की ताकत को महसूस किया था। अनिकेत उसका सबसे खास दोस्त तो था ही, उसका प्यार और अब जिंदगी भी था।

कुछ ही समय बाद अनिकेत को एक खुशखबरी सुनने को मिली। अना फर्स्ट फ्लाइट एयरलाइन्स में एयरहोस्टेस के तौर पर चुन ली गयी थी। अना बेहद खुश थी और उससे ज़्यादा खुश उसके लिए उसका अनिकेत था। नियुक्ति पत्र हाथ में आते ही अना ने यह खुशखबरी सबसे पहले अनिकेत को सुनाई थी। 

अगर अनिकेत सामने होता तो वो ख़ुशी के मारे उसके सीने से लग जाती। इस खुशी के अवसर पर अना को अनिकेत की कमी बहुत खल रही थी लेकिन कुछ दीवारें थी जो अनिकेत ने बना रखी थी दोनों के बीच, जिन्हें अना चाहकर भी तोड़ना नहीं चाहती थी। वो अनिकेत के हर फैसले का सम्मान करती थी।

अना नहीं जानती थी कि वो कब और कैसे अनिकेत से प्यार करने लगी थी? वो बस इतना जानती थी कि जिस पल अनिकेत ने उसे "मेरी अना" कहा, वो उसी पल अनिकेत की हो गई थी हमेशा के लिए। उनका रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ चुका था।

अना को एयरहोस्टेस की नौकरी मिलने से जहाँ उसकी माँ बेहद खुश थी, वहीं पिता अपने आपको हारा हुआ महसूस कर रहे थे। उन्हें लग रहा था जैसे किसी जंग में अना उनसे जीत गयी हो। पहले ही अना को उनके फैसलों के विपरीत चलने की आदत थी। अना के आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बाद उन्हें अपने घर में अपनी अहमियत खत्म होती सी नज़र आ रही थी। 
अना के पिता अपनी बेटी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए घर से बाहर निकल गए। अना की इस खुशी को मनाने के लिए सिर्फ दो लोग रह गए थे घर में अना और उसकी माँ।

अना अपनी नई नौकरी में इस कदर व्यस्त हो गयी थी कि अनिकेत से बात करने के लिए समय निकालना भी मुश्किल हो गया था। छह महीने तक उसकी ट्रेनिंग थी। जैसे ही उसे थोड़ा सा भी समय मिलता, वो अनिकेत को फोन कर लेती थी। कई बार ऐसा होता था जब उसे समय मिलता था बात करने के लिए तब अनिकेत व्यस्त होता था और जब अनिकेत फोन करता तब अना व्यस्त होती थी।

इधर अनिकेत की भी बी ए अंतिम वर्ष की परीक्षा खत्म हो चुकी थी। कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट का आयोजन हुआ था जिसमें विभिन्न टीवी न्यूज़ चैनल्स और प्रिंट मीडिया ने भाग लिया था। अनिकेत दिन-रात साक्षात्कार की तैयारी में लगा रहता था। उसके कई दोस्तों का चयन हो भी गया था लेकिन उसका चयन अभी तक कहीं नहीं हुआ था।

कभी-कभी अनिकेत का हौसला हारने लगता था लेकिन फिर वो अपने आपको समझाता था कि वो ऐसे हार नहीं सकता। अना की नई-नई नौकरी थी, वो उसे परेशान नहीं कर सकता था। लेकिन यह भी उतना ही सच था कि वो अपने मन की बात कहे बिना अना से रह भी नहीं सकता था। 
यूँ तो अनिकेत पूरे जोश के साथ बात कर रहा था अना से फोन पर , जैसे सब कुछ सामान्य हो लेकिन अना को अनिकेत की इस जोश भरी आवाज़ में ना जाने क्यों सच्चाई नज़र नहीं आ रही थी। उसने अनिकेत से पूछा…..अगला साक्षत्कार कब है और किस मीडिया हाउस के साथ है?

कल है "तेज़ खबर" न्यूज़ चैनल के साथ।

तुम्हें पता है कल मुझे एक खुशखबरी मिलने वाली है अनिकेत?

अनिकेत ने बुझे मन से कहा…. कौनसी खुशखबरी?

मेरे अनिकेत के "तेज खबर" में चयन की।

अनिकेत हँसने लगा….. नींद में सपने देखते हैं, और तुम जागती आँखों से देख रही हो?

हाँ जागती आँखों से सपना देख रही हूँ क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास है….अना ने जितने भी ख़्वाब देखे हैं अनिकेत के लिए वो उन्हें जरूर पूरा करेगा। अनिकेत की आंतरिक शक्ति को जितना मैं समझती हूँ, उतना कोई नहीं समझ सकता। 
एक-दो जगह चयन नहीं होने का यह अर्थ नहीं कि तुम में कोई कमी है। इसका अर्थ यह है कि भगवान ने तुम्हारे लिए कुछ इससे बेहतर चुन रखा है।

जो सर्वश्रेष्ठ होगा उसे सब सर्वश्रेष्ठ ही मिलेगा, जैसे कि मैं…..अनिकेत जोर से हँसने लगा अना की इस बात पर और साथ ही अना भी हँसने लगी।

मेरी अना के पास ही तो वो जादू है जिससे वो मेरी अनकही बातों को भी समझ लेती है। सच कहा तुमने  सर्वश्रेष्ठ अनिकेत की सर्वश्रेष्ठ अना….हा-हा-हा

अना से बात करके अनिकेत हल्का महसूस कर रहा था। उसका सारा तनाव मानो छू-मंतर हो गया था। उसे विश्वास था अना की कही हर बात पर। अना उसकी साँसों के लिए ऑक्सीजन से कम नहीं थी। हर एक गुजरता लम्हा अना को अनिकेत के और करीब कर रहा था।

❤सोनिया

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6 Comments

Lotus🙂

25-Feb-2022 02:16 PM

Ana ka kirdar gun ka laga mujhe apki kahani me

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Archita vndna

23-Feb-2022 12:52 PM

खूबसूरत कहानी

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Rohan Nanda

23-Feb-2022 12:37 AM

वेरी गुड

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